Independence Day: भारतीय तिरंगा पहली बार कब और कहाँ फहराया, भारतीय झंडा किसने बनाया, जानिए भारतीय झंडे का पूरा इतिहास

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भारतीय तिरंगा देश की आन-बान शान है। देश का तिरंगा हमारी पहचान है। भारतीय झंडा यह दिखाता है की हमारा भारत आजाद और एक लोकतांत्रिक देश है। यह भारत की ताकत है और यह भारतीय एकजुटता को दर्शाता है। हम सब स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते है क्या आपने कभी राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जाना है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको भारतीय झंडे के पुरे इतिहास के बारे में बताने वाले है। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े।

भारतीय तिरंगा

भारतीय झंडे में तीन रंग होते है। यह तीनो रंग अलग अलग महत्व रखते है। भारतीय झंडे में तीन रंगो की पट्टिया होती है जिसे बेंड कहा जाता है। भारतीय झंड में तीन रंग होते है जिनमे से सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग होता है।

  • केसरिया रंग- भारतीय झंडे में केसरिया रंग सबसे ऊपर होता है। यह भारत की ताकत और साहस का प्रतीक है।
  • सफेद रंग- भारतीय झंडे में बीच में सफ़ेद रंग होता है। यह शांति और सच्चाई को दर्शाता है।
  • हरा रंग- भारतीय झंडे में सबसे नीचे हरा रंग होता है। यह विकास और समृद्धि का प्रतीक है।

सफेद पट्टी में अशोक चक्र होता है। जिसमे 24 तिल्लिया होती है। यह देश को गतिशीलता और विकास को दर्शाता है। यह धर्म का पहिया है।

भारत का झंडा किसने बनाया?

भारतीय झंडे का वर्तमान डिजाइन पिंगली वेंकैया ने किया था। यह 1921 में बनाया गया था। पिंगली वेंकैया खुद के स्वतंत्रता सेनानी थे। वे एक व्याख्याता, लेखक, भूविज्ञानी, शिक्षाविद, कृषक और बहुभाषी भी थे।

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राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन कई बार चेंज हुआ है। भारत ने पहला राष्ट्रीय ध्वज 1906 में बनाया था। स्वतंत्रता आंदोलनों, चर्चाओं और विचार-विमर्शों के सफर से गुजरते हुए धीरे धीरे हमारा तिरंगा आज इस रूप में है। जिसमें तीन पट्टियों के साथ ही एक अशोक चक्र है।

भारत के झंडे का इतिहास

1906– पहला राष्ट्रीय ध्वज कलकत्ता के पारसी बागान में फहराया गया था। यह स्वदेशी आंदोलन का प्रतीक था। ब्रिटिश वस्तुओ के बहिष्कार करने के लिए आह्वान था।

1907- दुसरा राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। यह ध्वज पहले जैसा ही था लेकिन थोड़ा सा बदलाव किए। मेडम भीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ड में दुसरा राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

1917- यह ध्वज कुछ अलग था, जिसमे 9 क्षैतिज रंगीन पट्टिया थी। इस धवज को एनी बिसेन्ट और बाल गंगाधर तिलक ने होम रुल आंदोलन के दौरान फहराया था।

1921- यह ध्वज पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था। विजयवाड़ा में कांग्रेस के एक अधिवेशन में पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को ध्वज का डिजाइन दिखाया। इसमें सफेद, हरे और लाल रंग की पट्टिया थी। यह हिन्दुओ और अल्संख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व करती है।

1931-पिंगली वेंकैया के द्वारा डिजाइन किए गए इस ध्वज में थोड़ा बदलाव किया गया। यह वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज के सामान दिख रहा है। ध्वज के केंद्र में एक चरखा था।

1947- भारत की स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय ध्वज का चयन करने के लिए राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। उन्होंने मौजूदा ध्वज को अपनाया और चरखा की जगह बीच में अशोक चक्र को रखा। जो क़ानून, न्याय और धार्मिकता का प्रतीक था।

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