Creamy Layer: क्रीमी लेयर क्या है? क्या इसे एससी, एसटी आरक्षण में लागू किया जाएगा, जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

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सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो के लिए आरक्षण के बारे में अपना एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया की सरकार इन एससी, एसटी वर्गो के अंदर अलग से वर्गीकरण कर सकती है। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सहित सात जजों की बेंच ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर के संबंध मे अपना फैसला सुनाते हुए सिफारिशे की है।

इन सात जजों की बेंच में से एक न्यायाधीश ने इसका विरोध किया जबकि छह न्यायाधीशों ने इसके पक्ष में अपना फैसला सुनाया। छह न्यायाधीशों ने यह सिफारिश की है की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान होना चाहिए। इसके साथ ही यह भी सिफारिश की गई की यह प्रावधान ओबीसी वर्ग पर लागू प्रावधान से अलग होना चाहिए।

इस फैसले को लेकर कई प्रकार के सवाल सामने आए है। जैसे की क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो के लिए क्रीमी लेयर लागू करने की जरूरत है? यह अन्य पिछड़ा वर्ग के क्रीमी लेयर से अलग कैसे हो सकता है आदि।

क्रीमी लेयर क्या है?

भारत में क्रीमी लेयर की अवधारणा इंद्रा सहानी मामले (1992) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पेश की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया की ओबीसी में उन्नत वर्गो को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। आरक्षण का लाभ सिर्फ जरूरतमंद लोगो को ही मिलना चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी वर्ग के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान किया।

क्रीमी लेयर के अंतर्गत उन लोगो को रखा जाता है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर चुका है। इस श्रेणी में आने वाले लोगो को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है। वर्तमान समय में केवल ओबीसी के लिए ही क्रीमी लेयर लागू है। क्रीमी लेयर के अंतर्गत सालाना 8 लाख रुपए से अधिक आय वाले परिवारों को रखा जाता है।

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यह आय सीमा समय-समय पर सरकार के द्वारा संशोधित भी की जाति है। इसके आलावा क्रीमी लेयर श्रेणी में ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवाओं में उच्च पदस्थ अधिकारि के बच्चे भी शामिल है। डॉक्टर, इंजीनियर और वकील के बच्चे भी क्रीमी लेयर की श्रेणी में आते है। वर्तमान समय में अनुसुचित जाति और अनसूचित जनजाति वर्ग के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है।

अनुसूचित जाति और अनुसुचित जनजाति वर्ग के सभी परिवारों को वर्तमान समय में आरक्षण का लाभ मिलता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक सिफारिश के बाद इसमें बदलाव किया जा सकता है।

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