अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण में क्रिमीलेयर को लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ विभिन्न संगठनों ने विरोध किया है और 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है। दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDA OR) ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए न्याय और समानता सहित मांगो की लिस्ट तैयार की है। भारत बंद बुलाने वाले संगठनों की मांग है की सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले को वापस ले या पुनर्विचार करे।
क्रीमीलेयर क्या है?
भारत में क्रीमी लेयर की अवधारणा इंद्रा सहानी मामले (1992) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पेश की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया की ओबीसी में उन्नत वर्गो को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए। आरक्षण का लाभ सिर्फ जरूरतमंद लोगो को ही मिलना चाहिए। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी वर्ग के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान किया।
क्रीमी लेयर के अंतर्गत उन लोगो को रखा जाता है जो आर्थिक और सामाजिक रूप से प्रगति कर चुका है। इस श्रेणी में आने वाले लोगो को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाता है। वर्तमान समय में केवल ओबीसी के लिए ही क्रीमी लेयर लागू है। क्रीमी लेयर के अंतर्गत सालाना 8 लाख रुपए से अधिक आय वाले परिवारों को रखा जाता है।
यह आय सीमा समय-समय पर सरकार के द्वारा संशोधित भी की जाति है। इसके आलावा क्रीमी लेयर श्रेणी में ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवाओं में उच्च पदस्थ अधिकारि के बच्चे भी शामिल है। डॉक्टर, इंजीनियर और वकील के बच्चे भी क्रीमी लेयर की श्रेणी में आते है। वर्तमान समय में अनुसुचित जाति और अनसूचित जनजाति वर्ग के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं है।
अनुसूचित जाति और अनुसुचित जनजाति वर्ग के सभी परिवारों को वर्तमान समय में आरक्षण का लाभ मिलता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की ऐतिहासिक सिफारिश के बाद इसमें बदलाव किया जा सकता है।
क्यों है भारत बंद?
सुप्रीम कोर्ट में सात न्यायधिशो की पीठ ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में क्रीमीलेयर को लागू करने का फैसला सुनाया था। NACDAOR ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विरोध जताया है। उन्होंने कहा की इंदिरा साहनी मामले में नो न्यायाधीशों पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करना है। जिसने भारत में आरक्षण के लिए के रुपरेखा तैयार की थी।
NACDAOR ने सरकार के इस फैसले को खारीच करने का आग्रह किया है। उन्होने कहा की यह फैसला अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक अधिकारो को खतरा पहुंचती है। संगठन ने SC, ST और OBC के आरक्षण के लिए नए अधिनियम की भी मांग की है। NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC, ST और OBC के लिए जाति आधारित डेटा को जारी करने की मांग की है।
इसके अलावा भारतीय न्यायायिक सेवा की स्थापना की मांग की है ताकि सभी वर्गो से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशो की भर्ती हो सके। NACDAOR ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में बेकलॉग रिक्तियों को भरने की भी मांग की है।
क्या खुला रहेगा?
हॉस्पिटल सेवाए खुली रहेगी। सार्वजनिक परिवहन, रेल सेवाए खुली रहेगी। इमरजेंसी सेवाए खुली रहेगी। सरकारी दफ्तर, स्कुल, कॉलेज में सामान्य रूप से कामकाज होते रहेंगे।
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